पारंपरिक व्यवसाय करने वालों तक पहुंचाएं विश्वकर्मा योजना

05 अगस्त 2025|| एडीसी अभिषेक गर्ग ने उद्योग विभाग, अन्य संबंधित विभागों और बैंकों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करें तथा पारंपरिक व्यवसाय कर रहे लोगों एवं पुश्तैनी कारीगरों तक इस योजना का लाभ पहुंचाएं। मंगलवार को इस योजना की जिला कार्यान्वयन समिति की चौथी बैठक की अध्यक्षता करते हुए एडीसी ने कहा कि 18 प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों जैसे- राजमिस्त्री, बढ़ई, लोहार, सुनार, मूर्तिकार, चर्मकार, टेलरिंग, हेयर ड्रेसर, टोकरियां, मैट, खिलौने, किश्ती एवं मछली के जाल इत्यादि बनाने वाले कारीगरों को विश्वकर्मा योजना के तहत पहचान पत्र प्रदान किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि कारीगरों के कौशल उन्नयन के साथ-साथ इन्हें आवश्यक औजार एवं उपकरणों खरीदने के लिए योजना के तहत 15 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा 3 लाख रुपये तक के ऋण के ब्याज पर 8 प्रतिशत तक छूट का प्रावधान भी किया गया है।
बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने योजना के पांच आवेदनों पर चर्चा की और इनमें से दो आवेदनों को मंजूरी प्रदान की। एडीसी ने अन्य आवेदनों की आवश्यक औपचारिकताओं को पूर्ण करवाकर इन्हें दोबारा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंचायत और शहरी निकायों के पास प्राथमिक स्तर पर लंबित 20 आवेदनों की प्रक्रिया को पूर्ण करवाने के लिए संबंधित खंड विकास अधिकारियों और शहरी निकायों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक डॉ. ठाकुर भगत ने विश्वकर्मा योजना और जिला में इसके आवेदनों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। बैठक में जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक टशी नमग्याल और जिला स्तरीय समिति के गैर सरकारी सदस्य एवं कार्यक्षेत्र विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।

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