कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) में आज (शनिवार) को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की आत्मा परियोजना के तहत आयोजित 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। इस अवसर पर अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य और अधिवक्ता विजय डोगरा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस शिविर में अंब और गगरेट विकास खंडों के 46 सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों, लाभों और व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी देना था ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों को रसायन मुक्त खेती के लिए प्रेरित कर सकें।
विजय डोगरा का संदेश
विजय डोगरा ने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करती है, बल्कि यह स्वास्थ्यवर्धक भोजन और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्लस्टरों में जाकर किसानों के साथ इस ज्ञान को साझा करें और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करें।
गौ-संवर्धन पर जोर
श्री डोगरा ने कहा कि वर्तमान सरकार प्राकृतिक खेती के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने वाली पहली सरकार है। उन्होंने गौ-संवर्धन पर बल देते हुए कहा कि गौवंश से प्राप्त गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर जीवामृत और घन जीवामृत जैसे जैविक घटक घर पर ही तैयार किए जा सकते हैं, जो प्राकृतिक खेती में अत्यंत लाभकारी हैं।
आतमा परियोजना के निदेशक की जानकारी
आतमा परियोजना के निदेशक, वीरेंद्र बग्गा ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर रही है जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो सके और वे रसायन मुक्त खेती की ओर अग्रसर हों।
प्रशिक्षणार्थियों के अनुभव
इस अवसर पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण ने उन्हें प्राकृतिक खेती की गहराई से समझ दी है और वे अब अपने क्षेत्रों में किसानों को अधिक प्रभावशाली तरीके से मार्गदर्शन कर सकेंगे। साथ ही, सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।
उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
इस मौके पर आतमा परियोजना निदेशक वीरेंद्र बग्गा, उप निदेशक उद्यान विभाग केके भारद्वाज, डॉ. संजय कुमार, डॉ. मीनाक्षी सैनी सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।