प्रधानमंत्री ने शुरू की ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ – बिलासपुर जिला स्तर पर हुआ सीधा प्रसारण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर से ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ तथा ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर देशभर के चयनित जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए गए।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में कृषि विभाग द्वारा किसान भवन में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाया गया।

कार्यक्रम में नगर एवं ग्राम नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।


कृषि उत्पादकता और ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने का लक्ष्य

राजेश धर्माणी ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाकर ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करना है।
इस योजना के अंतर्गत देश के 100 आकांक्षी कृषि जिलों को चयनित किया गया है, जिनमें हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर एकमात्र जिला है।
उन्होंने बताया कि इस योजना में ऐसे जिलों को शामिल किया गया है, जहां फसल की औसत उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, किसान क्रेडिट कार्ड की पहुंच सीमित है और प्रति वर्ष 1.55 से कम फसल चक्र लिए जाते हैं।


11 विभागों की 36 योजनाएं एकीकृत रूप में लागू होंगी

मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत 11 विभागों की 36 कृषि संबंधित योजनाओं को एकीकृत करते हुए एक समग्र मॉडल तैयार किया गया है, जिससे योजनाओं का लाभ अधिक प्रभावी रूप से किसानों तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि पहले केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाएं समन्वय की कमी और स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार माइक्रो प्लानिंग न होने के कारण पूर्ण लाभ नहीं दे सकीं।


जिला स्तर पर बनेगी धन-धान्य कृषि योजना समिति

राजेश धर्माणी ने बताया कि प्रत्येक चयनित जिले में जिला धन-धान्य कृषि योजना समिति का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त करेंगे।
यह समिति जिला कृषि विकास योजना तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी निभाएगी।
उन्होंने जिला प्रशासन और कृषि विभाग को निर्देश दिए कि बिलासपुर की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सशक्त और व्यवहारिक प्लान तैयार किया जाए ताकि किसानों को पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों में भी लाभ मिल सके।


माइक्रो लेवल प्लानिंग और महिला-युवा सहभागिता पर जोर

तकनीकी शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि योजना बनाते समय माइक्रो लेवल पर प्लानिंग करें ताकि कृषि उत्पादकता बढ़ाने, कटाई के बाद भंडारण और मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित किया जा सके।
उन्होंने महिलाओं और युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।


प्राकृतिक खेती को मिला किसानों का व्यापक समर्थन

राजेश धर्माणी ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्रदेश में अब तक 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रही है।
इस दिशा में 3.06 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें से 2,22,893 किसानों ने रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती अपनाई है।

उन्होंने बताया कि सीटारा-एनएफ के तहत 1,96,892 किसान प्रमाणित किए गए हैं और 2,408 किसानों ने 2.62 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी प्राकृतिक खेती से अर्जित की है।
सरकार ने किसानों से 2123.58 क्विंटल गेहूं और 398.98 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की है।


दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

मंत्री ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है।
अब गाय के दूध का मूल्य 45 से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध का मूल्य 55 से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।


युवाओं से पारंपरिक कृषि की ओर लौटने का आह्वान

राजेश धर्माणी ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने देश को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए थे।
भाखड़ा बांध के निर्माण ने बिजली उत्पादन और हरित क्रांति की नींव रखी, जिससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।
उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि युवा पारंपरिक कृषि और ग्रामीण व्यवसायों की ओर लौटें, ताकि स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा मिल सके और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा साकार हो।


कार्यक्रम में रही व्यापक भागीदारी

कार्यक्रम में पूर्व विधायक तिलक राज शर्मा, एपीएमसी चेयरमैन सतपाल वर्धन, निदेशक कृषि विभाग रविन्द्र सिंह जसरोटिया, एडीसी बिलासपुर ओमकांत ठाकुर सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसान और कृषक संगठन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।