लवी मेला रामपुर-2025 में अश्व प्रदर्शनी का होगा भव्य आयोजन

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेला रामपुर-2025 के अंतर्गत आयोजित की जाने वाली अश्व प्रदर्शनी (Horse Show) में इस वर्ष पंजाब, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख राज्यों के अश्वपालकों को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में इन राज्यों के अश्वपालकों को हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध ‘चामुर्थी नस्ल’ के घोड़ों की विशेषताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी ताकि इस नस्ल के व्यापार और संरक्षण को प्रोत्साहन मिले और इसे अन्य राज्यों की जीवनशैली और पशुपालन परंपरा में भी शामिल किया जा सके।


चामुर्थी घोड़ा — हिमाचल की अद्वितीय विरासत

अनुपम कश्यप ने कहा कि लवी मेला का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है और इस मेले में चामुर्थी घोड़े की बिक्री सदैव मुख्य आकर्षण रही है। उन्होंने बताया कि चामुर्थी घोड़ा हिमालयी और पहाड़ी क्षेत्रों का सबसे विश्वसनीय एवं शक्तिशाली पशु माना जाता है। “इस नस्ल के घोड़े -30°C तापमान में भी काम करने की क्षमता रखते हैं और ‘शीत मरुस्थल का जहाज’ के रूप में जाने जाते हैं,” उपायुक्त ने कहा। इस नस्ल के घोड़ों की ऊँचाई 12 से 14 हाथ तक होती है और ये कठिन भू-भागों पर तेज़ी से चलने और ऊँचाई पर संतुलन बनाए रखने के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत में पाई जाने वाली छः प्रमुख अश्व नस्लों में से एक मानी जाने वाली यह नस्ल तिब्बती पठार से उत्पन्न होकर लाहौल-स्पीति और किन्नौर की घाटियों में विकसित हुई है।


तिब्बत से जुड़ा इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार, चामुर्थी नस्ल का उद्गम तिब्बत के छुर्मूत क्षेत्र से हुआ, जिसके नाम पर ही इसका नाम ‘चामुर्थी’ पड़ा। कहा जाता है कि प्राचीन काल में तिब्बती व्यापारी इन घोड़ों को पिन घाटी (स्पीति) और भाबा घाटी (किन्नौर) तक लेकर आए। यह घोड़े आज भी स्थानीय समाज की संस्कृति, कृषि और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। इस नस्ल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये बहुत कम बीमार पड़ते हैं और इनका पालन कठिन परिस्थितियों में भी आसानी से किया जा सकता है।


लरी में स्थापित घोड़ा प्रजनन केंद्र दे रहा नई दिशा

हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस दुर्लभ नस्ल के संरक्षण के लिए वर्ष 2002 में स्पीति घाटी के लारी में एक घोड़ा प्रजनन केंद्र स्थापित किया था। यह केंद्र 82 बीघा भूमि में फैला है और इसमें तीन इकाइयाँ एवं चार स्टैलियन शेड हैं, जहाँ कुल मिलाकर 60 से अधिक घोड़े रखे जा सकते हैं। इस केंद्र के प्रयासों से अब हिमाचल प्रदेश में चामुर्थी घोड़ों की संख्या सैकड़ों में पहुँच चुकी है, जबकि एक समय यह नस्ल विलुप्ति के कगार पर थी।


अश्व प्रदर्शनी की तिथियाँ और आयोजन विवरण

अश्व प्रदर्शनी 1 से 3 नवंबर 2025 तक लवी मेला मैदान, रामपुर बुशहर में आयोजित की जाएगी। पशुपालन विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में निम्न कार्यक्रम होंगे — 1 नवंबर: अश्वों का पंजीकरण 2 नवंबर: अश्वपालकों की गोष्ठी एवं तकनीकी कार्यशाला,  3 नवंबर: 400 और 800 मीटर की घुड़दौड़, गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता और सर्वश्रेष्ठ अश्व चयन एवं पुरस्कार वितरण समारोह उपायुक्त ने बताया कि सभी प्रतिभागी अश्वपालकों को विभाग की ओर से नि:शुल्क चारा और दाना प्रदान किया जाएगा।


चामुर्थी नस्ल का महत्व और परंपरा

लाहौल-स्पीति और किन्नौर के ग्रामीण आज भी हर वर्ष अप्रैल-मई माह में नए चामुर्थी घोड़े का चयन करते हैं। स्थानीय परंपरा के अनुसार, इस नस्ल के घोड़े देवताओं के प्रतीक माने जाते हैं और उनकी नसबंदी केवल धार्मिक कारणों से सीमित की जाती है। हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रथा से नस्ल विस्तार में बाधा आती है, इसलिए अब सरकार वैज्ञानिक पद्धति से नस्ल संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रही है।


बैठक में रहे उपस्थित

बैठक में सहायक आयुक्त देवी चंद ठाकुर, उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉ. नीरज मोहन, तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।