बाल श्रम को रोकने और जिला में बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के विभिन्न प्रावधानों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए गठित जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक वीरवार को उपायुक्त अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि बाल श्रम को रोकने के लिए बनाए गए अधिनियम में बहुत ही कड़े प्रावधान किए गए हैं। सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों और संस्थाओं के पदाधिकारियों को फील्ड में कड़ी नजर रखने के लिए निर्देशित किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भी बाल मजदूरी का मामला सामने आता है, तो त्वरित कार्रवाई की जाए और रेस्क्यू किए गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, ताकि नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जा सके।
उपायुक्त ने यह भी बताया कि जिले में विभिन्न ढाबों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, निर्माण स्थलों और बाल मजदूरी के अन्य संभावित हॉट स्पॉट्स के अलावा धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थलों पर भीख के मामलों पर कड़ी नजर रखी जाए। अगर इनमें बच्चों की संलिप्तता पाई जाती है, तो त्वरित कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि बाल श्रम को रोकने के लिए श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई, जिला बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन के साथ-साथ शिक्षा विभाग का भी महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। यदि कोई बच्चा स्कूल छोड़कर मजदूरी कर रहा है, तो ऐसे मामलों को तुरंत ध्यान में लाया जाए।
बैठक में बाल श्रम से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान और श्रम निरीक्षक सुभाष शर्मा ने जिला में बाल श्रम को रोकने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों एवं निरीक्षणों की विस्तृत जानकारी दी।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार, जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनीष राणा, सदस्य अश्वनी कुमार, सिद्धार्थ कौशल और संगीता कुमारी, उच्चतर शिक्षा उपनिदेशक डॉ. मोही राम चौहान, प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक कमल किशोर, स्वास्थ्य विभाग से डॉ. अजय अत्री, चाइल्ड लाइन की समन्वयक मनोरमा लखनपाल, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की पैनल अधिवक्ता सुनीता कुमारी और अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया।
 
					