बिलासपुर || 4 अगस्त 2025 || भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा आज डॉ. यशवंत सिंह परमार जयंती का जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी, नीलम चंदेल ने की और यह कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित था। प्रथम सत्र में, हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के जीवनवृत्त पर हुसैन अली द्वारा पत्रवाचन किया गया। उन्होंने डॉ. परमार के हिमाचल प्रदेश के विकास में योगदान, उनकी दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता, सामाजिक समर्पण, और सांस्कृतिक संरक्षण में उनके योगदान को रेखांकित किया।
इसके बाद, “साहित्यकार से मिलिए” कार्यक्रम में आज के वरिष्ठ साहित्यकार शीला सिंह का जीवनवृतांत हुसैन अली द्वारा पढ़ा गया। उनकी रचनाओं में समाज, संस्कृति, नैतिक मूल्य, और लोक चेतना का गहरा और प्रभावशाली चित्रण किया गया है। उनकी लेखनी न केवल साहित्यिक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है, बल्कि यह समकालीन सामाजिक सरोकारों की भी सजीव प्रस्तुति करती है। साहित्यिक योगदान के लिए शीला सिंह को जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल द्वारा शॉल और डायरी-पेन भेंट कर सम्मानित किया गया।
दूसरे सत्र में एक कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें कई प्रमुख कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की:
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अनूप सिंह मस्ताना ने “मेरा आज़ाद मुल्ख” से रचना प्रस्तुत की, जिसमें पंक्तियाँ थीं:
“नवीं रूत आई हूण नवीं ही बहार ये, आज़ाद मुल्खा री महारी आपणी सरकार ये।” -
हुसैन अली ने “अजीब मुकाम से गुजरा है काफिला जिंदगी का, शकुन ढूंढने निकले थे नींद भी गवां बैठे” प्रस्तुत किया।
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शीला सिंह ने “यह सच है कि परमार न होते तो हिमाचल, हिमाचल न होता” की रचना पढ़ी।
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सीता जसवाल ने “सावन की वर्षा ऋतु आई चारों ओर हरियाली छाई, कोयल कुकी चिड़िया चहकी, रंग बिरंगी तितलियाँ आई” प्रस्तुत किया।
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शिव पाल गर्ग ने “महफिलों में भी एक था” की रचना पढ़ी।
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सुषमा खजूरियाँ ने “सिंदूर का मोल” शीर्षक से रचना प्रस्तुत की।
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कौशल्या देवी ने “जब तक चलेगी जिंदगी की सांसें” सुनाई।
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रवीन्द्र चंदेल कमल ने “अम्मा अम्मा भगवाना रा एक कद” प्रस्तुत किया।
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सुमन चड्डा ने “एक लड़की का सरनेम” शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, जिसमें पंक्तियाँ थीं: “वो जब पैदा हुई तो मिला पिता का सरनेम”।
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गायत्री शर्मा ने “बहुत जख्म खाए है जमाने में हमने” की रचना प्रस्तुत की।
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परविंदर शर्मा ने “डिजिटल इंडिया” पर हास्य कविता का पाठ किया।
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ललिता कश्यप ने “छन्द” पाठ किया।
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अजय शर्मा ने “दुखों की है लाख वजह सुख की एक वजह ही काफी है” की रचना प्रस्तुत की।
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मुकेश शर्मा ने पहाड़ी गीत प्रस्तुत किया।
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इन्द्र सिंह चंदेल ने पहाड़ी गाना “पी ले राधिके, पी ले राधिके गउआं उतर पहाड़ां ते आइयां” गाया।
इस अवसर पर सिकंदर सिंह, कुलदीप शर्मा, नेहा, सपना, शीतल, प्रिया, मुनीश कुमार, प्यारी देवी, राकेश कुमार, अखिलेश कुमार, और अंकित कुमार भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित थे। इस दौरान, जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने शीला सिंह के साहित्यिक, सामाजिक और लोक चेतना में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की और डॉ. यशवंत सिंह परमार जी के जीवन पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम का मंच संचालन इन्द्र सिंह चंदेल ने किया।