हमीरपुर 15 जुलाई। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा है कि मॉनसून सीजन के दौरान क्षतिग्रस्त हुई ग्रामीण सडक़ों, रास्तों, डंगों, अन्य सार्वजनिक संपत्ति और भवनों इत्यादि की मरम्मत मनरेगा के माध्यम से भी करवाई जा सकती है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने विशेष निर्देश जारी किए हैं। शनिवार को यहां हमीर भवन में सभी खंड विकास अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान ग्रामीण विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि मॉनसून सीजन के दौरान मनरेगा के कार्यों में क्षतिग्रस्त सडक़ों, रास्तों और भवनों इत्यादि की मरम्मत तथा पौधारोपण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उपायुक्त ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से भी कहा कि अगर उनकी विभागीय संपत्ति को कहीं पर नुक्सान पहुंचा है या इनकी रक्षा के लिए तुरंत डंगा लगाने या अन्य कार्य की आवश्यकता है तो यह कार्य मनरेगा कनवर्जेंस से करवाया जा सकता है। उपायुक्त ने खंड विकास अधिकारियों से कहा कि वे इस तरह के कार्यों के लिए तुरंत मंजूरी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बरसात के मौसम में मनरेगा के माध्यम से पौधारोपण पर भी विशेष रूप से फोकस करने के निर्देश दिए। उपायुक्त ने कहा कि इस दौरान अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाना चाहिए।
मनरेगा कामगारों के डाटा की आधार सीडिंग की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिला में अभी तक 98.85 प्रतिशत मनरेगा कामगारों की आधार सीडिंग हो चुकी है। उन्होंने शेष बचे कामगारों की आधार सीडिंग के लिए संबंधित बैंक अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश भी दिए।
उपायुक्त ने कहा कि मनरेगा के कार्यों में नेचुरल रिसोर्सेज मैनेजमेंट (एनआरएम) से संबंधित कार्यों के लिए निर्धारित 65 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी बीडीओ अपने-अपने क्षेत्रों के पंचायत जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन करें। उन्होंने कहा कि जिला की विभिन्न ग्राम पंचायतों में 150 अमृत सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इनके कार्य प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करवाए जाने चाहिए। बैठक में ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की गई।
इस अवसर पर एडीसी जितेंद्र सांजटा ने विभिन्न योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया तथा इनके संबंध में सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी दी।