हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा सेब की पेटी का वजन 24 किलो निर्धारित करने को लेकर बागवानो में आक्रोश के साथ असमंजस की स्थिति बनी हुई है। समय रहते अगर इसका समाधान न हुआ तो इस विषय को लेकर किसानों बागवानों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। प्रैस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा नेता चेतन बरागटा ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बागवानों को अनेक प्रकार की समस्याएं आ रही है जिन समस्याओं को वो सूचीबद्ध प्रदेश सरकार के समक्ष रखेंगे। 24 किलोग्राम पेटी पर 22 किलोग्राम का पैसा आज की व्यवस्था के अनुरूप बागवानों को मिल रहा है। लेकिन बागवानों को ये बात हजम नही हो रही है। 2 किलो की कटौती किस फार्मूले के तहत की जा रही है सरकार को इस बारे विस्तार से बागवानों को बताना चाहिए।
चेतन बरागटा ने कहा कि सरकार द्वारा बिना ग्राउंड वर्क, बिना तथ्यों की जानकारी जुटाए,बिना किसी चर्चा के इस तरह के निर्णय बागवानों के लिए नुकसानदायक हो रहे है। उन्होंने कहा कि सरकार को बागवान,आढती और व्यापारी के सुझाव के अनुरूप ही इस विषय पर सकारात्मक फ़ैसला करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिस तरह की अव्यवस्था वर्तमान समय में मंडियो में नज़र आ रही है उससे तो लगता है कि
यहां के आढ़ती व व्यापारी भी बाहरी मंडियों की ओर पलायन कर सकते हैं। जिस कारण प्रदेश को रेवेन्यू का नुकसान भी झेलना पड़ेगा।
इसलिए सरकार से निवेदन है कि जब तक यूनिवर्सल कार्टन नही आता बागवानों को अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता दी जाए।
चेतन बरागटा ने कहा कि जिला शिमला से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्रियों में से एक भी नेता बागवानों की समस्याओं के बारे में कोई रुचि नही दिखा रहा। ऐसा क्या कारण है कि सेब बाहुल्य क्षेत्र से प्रदेश सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्रियों ने 24 किलो सेब की पेटी विषय पर चुप्पी साधी हुई है। जबकि उन्हें बागवानों की भावना के मध्यनज़र इस विषय पर प्रदेश सरकार को सकारात्मक फ़ीडबैक देना चाहिए था। उन्होंने कहा जो काँग्रेस नेता विपक्ष में रहते बागवानों के हितैषी बने हुए थे वो सब आज उनकी सरकार होते हुए क्यों गायब हो गए है। इन सभी नेताओं के आचरण से प्रतित होता है कि इनका बागवानों से कोई सरोकार नहीं है।