आउटसोर्स कर्मियों को निकलने के खिलाफ सीटू राज्य कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री को सौंपा मांग पत्र

प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत लगभग 1800 कोविड आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकालने के निर्णय के खिलाफ सीटू राज्य कमेटी का एक प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल से मिला व उन्हें एक मांग पत्र सौंपा। स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया है कि स्वास्थ्य विभाग के किसी भी आउटसोर्स कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। सीटू ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदेश में 30 हज़ार आउटसोर्स कर्मियों के रोज़गार पर तलवार लटकी तो प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार की आउटसोर्स कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 6 अगस्त को शिमला के कालीबाड़ी हॉल में विशाल अधिवेशन होगा व सरकार के खिलाफ मोर्चाबन्दी होगी। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में आउटसोर्स कर्मचारियों की भूमिका उदाहरणीय रही है। प्रदेश के सरकारी विभागों के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने में आउटसोर्स कर्मी पिछले पन्द्रह सालों से बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं परन्तु उनकी स्थिति दयनीय है। आउटसोर्स कर्मियों से नियमित कर्मचारी के बराबर काम लेने के बावजूद उन्हें बेहद कम वेतन दिया जाता है जो कि कई बार महीनों तक भी नसीब नहीं होता है। उनके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्तूबर 2016 के समान कार्य के समान वेतन के निर्णय को लागू नहीं किया गया है। उन्हें नियमित कर्मचारी से ज़्यादा कार्य लेने के बावजूद उनके मुकाबले केवल एक तिहाई वेतन ही मिलता है। उन्हें ईपीएफ, ईएसआई, छुट्टियों व ओवरटाइम वेतन के दायरे में नहीं लाया गया है। अगर कहीं ईपीएफ व ईएसआई सुविधा लागू भी है तो उसके दोनों शेयर कर्मियों से ही काटे जाते हैं।

कर्मियों के वेतन से 18 प्रतिशत जीएसटी भी काटा जाता है। उनके रोज़गार को संचालित करने के लिए कोई नीति नहीं है। पूर्व भाजपा सरकार ने इन कर्मियों को ठगने का कार्य किया था व कांग्रेस सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में मरीजों के लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाले नर्सिंग स्टाफ, डेटा एंट्री ऑपरेटर, वार्ड अटेंडेंट, सुरक्षा, सफाई, लॉन्ड्री, मेस व अन्य सभी प्रकार के पैरामेडिकल स्टाफ को आज नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया जा रहा। उनकी हाज़िरी भी नहीं लग रही। उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के 1800 आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से बाहर करने से पूर्व जलशक्ति विभाग व अन्य विभागों के हज़ारों कर्मियों को नौकरी से बाहर किया जा चुका है। सरकार तर्क दे रही है कि अब आउटसोर्स प्रणाली खत्म होगी व नियमित भर्तियां होंगी परन्तु बीस वर्षों से सेवाएं देने वाले आउटसोर्स कर्मी कहाँ जाएंगे। उनके परिवारों के लिए रोज़ी रोटी का मसला खड़ा हो गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि नीति बनाते समय यह बात ध्यान में रखी जाए कि सरकारी विभागों में कार्यरत सभी 30 हज़ार आउटसोर्स कर्मी नियमित हों व उसके बाद ही नई नियुक्तियां की जाएं

Author: admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *