आज दिनांक 07/07/23 को एस एफ आई राज्य कमेटी द्वारा छात्र विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ तथा छात्र संघ चुनाव की बहाली के लिए व विभिन्न प्रकार की भर्तियों में व्यापक भ्र्ष्टाचार की जांच करवाने के लिए राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। एस एफ आई का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीती संसद में चर्चा किए बिना आपातकाल की स्तिथि में आरएसएस के एजेंडे को साकार करने के लिए तानाशाही तरीके से थोपी गई है। जिससे आम छात्रों को शिक्षा से दूर करने के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दूर करते हुए उनमें सांप्रदायिक भाव भरने और भगवाकरण करने की नीति केंद्र सरकार द्वारा गढ़ी गई है ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने का जिक्र तक नहीं किया गया है। जिससे साफ झलकता है । कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को शिक्षा से कोसो दूर रखने का काम कर रही है। इसके साथ शोध के उपर भी केंद्र सरकार इस शिक्षा नीति के माध्यम से हमला कर रही है। जहा शोध को बढ़ावा देने के छात्रों की छात्रवृत्ति बढ़ानी चाहिए थी वहीं उससे उल्ट केंद्र सरकार उसको राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से बंद कर रही है। शिक्षा का स्वरूप वैज्ञानिक और प्रगतिशील होता है। लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से उसके ऊपर भी हमले किए जा रहे है। मनुस्मृति और अन्य अवैज्ञानिक पाठ्यक्रमों को शामिल करके केंद्र सरकार छात्रों को अवैज्ञानिक और रूढ़िवादिता की और धकेलने का काम कर रही है। इसलिए एस एफ आई का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्र विरोधी होने साथ साथ प्रगतिशील समाज विरोधी भी इसलिए एस एफ आई केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा थोपी गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध करती है। और शिक्षा नीति कैसी होनी चाहिए “वैकल्पिक शिक्षा नीति” का ड्राफ्ट प्रदेश व केंद्र सरकार को सौंप चुकी है ।
विश्वविद्यालय भर्तियों में भ्र्ष्टाचार–
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती में बहुत बड़े स्तर पर फर्जी भर्तियां हुई है । जिसका एस एफ आई तब से लेकर निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है । लेकिन नई सरकार ने भी इस पर अभी तक कोई कड़ा रुख नहीं अपनाया है।
लेकिन माननीय राज्यपाल विश्वविद्यालय के चांसलर भी है। इस मामले में माननीय राज्यपाल महोदय से उम्मीद और अपील करते हैं कि वो फर्जी भर्ती मामले को गंभीरता से ले और इसमें संलिप्त आरोपियों पर जल्द से जल्द कार्रवाही करे। इसके साथ साथ कॉलेज कैडर की भर्तियों में सरकार व हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग पर लगे आरोपों की भी निष्पक्ष जांच की मांग की गई।
रिक्त पदों को शीघ्रता से भरा जाए।
एक सरकारी आंकड़े के अनुसार वर्तमान समय मे प्रदेश भर के 70% महाविद्यालय (कुल 156 में से104) ऐसे हैं जहां पर कोई प्रधानाचार्य नहीं है। और प्रोफेसरों के भी कई पद रिक्त पड़े है।
इनमे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला भी है । जहा अभी तक कुलपति का पद रिक्त पड़ा है ।
रिक्त पड़े पदों के कारण शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर में गिरावट आ रही है ।
लेकिन प्रदेश सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
एस एफ आई का मानना है । कि रिक्त पड़े पदों को जल्द जल्द भरा जाए ।
छात्र संघ चुनाव बहाल करो।
छात्रों के जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनाव को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
चुना हुआ छात्र संघ प्रशासन और छात्रों के बीच कड़ी का काम करता है।
और छात्रों की समस्याओं को सीधे तौर पर हल करने के लिए प्रशासन के समक्ष रखने का कार्य करता है।
लेकिन छात्रों से उनका यह जनवादी अधिकार भी 2014 में उस समय सत्तासीन कांग्रेस सरकार ने छीन लिया था और अभी तक किसी भी सरकार ने इन चुनाव को बहाल नहीं किया ।
हमारा देश जो पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है ।
उस देश में सबके चुनाव बहाल है। लेकिन छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार को बहाल नहीं किया जा रहा ।
राज्यपाल महोदय से निवेदन है कि,आप इस प्रदेश के संवेधानिक प्रमुख है।
नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना व प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना सरकार का दायित्व है यदि वे इस दायित्व को नही निभा पा रही है तो राज्यपाल महोदय को जनहित या प्रदेश हित में शीघ्र उक्त मामलों में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।