हिन्दी साहित्य साधना की विकास गाथा में अन्य रचनाकारों के साथ साथ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के साहित्य कर्म का भी अतुल्नीय योगदान रहा है। यह विचार आज साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ0 लेख राम शर्मा ने जिला भाषा अधिकारी कार्यालय एवं राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर के हिन्दी संकाय द्वारा संयुक्त रूप से पंडित चनद्रधर शर्मा गुलेरी ज्यंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी यद्यपि असंख्य भाषाओं के ज्ञाता थे किन्तु उनकी कहानियों में हिमाचल की आंचलिकता निहित है। महान रचनाकार का संबंध हिमाचल से रहा है ये हम सब को गौरवान्वित करता है। चन्द्रधर शर्मा गुलेरी तत्कालीन मुर्धन्य रचनाकरों की अग्रिम पंक्ति में गिने जाते जाते थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में शिक्षा, महिला अधिकारों व समाज में महिलाओं के सम्मान की रक्षा की बात कही है।
इस अवसर पर कहानी प्रतियोगिता में बीए द्वितीय वर्ष की कल्पना प्रथम, घुमारवीं महाविद्यालय की अर्षिता ठाकुर द्वितीय तथा बिलासपुर महा विद्यालय की तृतीय वर्ष की उर्वी सैणी तृतीय स्थान पर रही। भाषण प्रतियोगिता में बीए द्वितीय वर्ष की अनामिका प्रथम, सातवीं कक्षा की वैशणवी तथा बीए तृतीय वर्ष की पायल तृतीय स्थान में रही। कविता पाठ प्रतियोगिता में बीए तृतीय वर्ष की ज्योति प्रथम, घुमारवीं कालेज की वैशणवी द्वितीय तथा बीए तृतीय वर्ष की उर्वी सैणी तृतीय स्थान पर रही।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित राजकीय महाविद्यालय की कार्यकारी प्रधानाचार्य प्रतीमा नडडा ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाविद्यालय को चुनने के लिए विभाग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से साहित्यक रूचि के छात्र छात्राओं को प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने कहा कि चन्द्रधर शर्मा गुलेरी साहित्य आम आदमी और सामाजिक सरोकार को इंगित करता है।
विभाग द्वारा इस अवसर पर कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। रचना चंदेल ने अपनी कविता ‘‘घुम रहे हैं गीदड़ लोमड़ झूंडों म,ें चाह रहे हैं भारत माता बंट जाए खंण्डों में’’ से एकता अखंण्डता की बात कही वहीं महिलाओं के सशक्तिकरण और हौंसलों को बढ़ाने का आहवान किया। एन आर हितैषी ने ‘‘पति एक घरेलू प्राणी होता है, शादी के बाद उर्म भर रोता है’’ के माध्यम से पति व्यथा का वर्णन किया। जिला लोक सम्पर्क अधिकारी संजय सूद ने परछाईयों में अस्तित्व की तलाश को इंगित करती कविता‘‘ मै परछाईयों में अपना अस्तित्व खोजता हूॅं, छूता हूं सहलाता हूॅं पुचकारता हूॅं परछाईयों ’’को पस्तुत की। बुद्वि सिंह चंदेल ने चन्द्रधर शर्मा गुलेरी को समर्तित कविता ‘‘ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी शत शत नमन तुम्हें हैं मेरी’’ । सभ्य नागरिक का पाठ पढ़ाते हुए हेम राज शर्मा की कविता ने ‘‘ आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बनें’’ प्रस्तुत की। शीला सिंह ने मधुर आवाज व सहज भाव के साथ ‘‘ भूले भटके मानव को तुम जीने की फिर राह दिखाओ’’ से वाह वाही लूटी। तृप्ता देवी ने आखिरी सलाम हो चला आखिरी कलाम हो चला की बानगी में जोशपूर्ण कविता प्रस्तुत की। पिता के सम्मान व शान को बेटी के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए प्रतीमा शर्मा पगड़ी तो पिता की शान है बेटियां समझती हैं से भाव विभोर किया। ललीता कश्यप ने रूप बसंती मधुर माधुरी हृदय सभी मन भाया है कविता के माध्यम से अपनी बात का बखान किया। सुशील पुण्डीर ने मजहब और धर्म के आडम्बरों पर व्यंग्य कविता हां हां मै मजहब हूॅं प्रस्तुत की। गोरखू राम शास्त्री ने कवि हृदय को उकेरती कविता हे प्यारे कवि कोई नया राग सुनाता जा प्रस्तुत की। रविन्द्र भटटा ने सम्वेदनशील कविता से श्रोताओं को झंजकोरते हुए ‘‘ फिर भी मुझे इन्तजार है क्योंक् िसंवेदनाएं कभी मरती नहीं है’’ कविता प्रस्तुत की। वीना वर्धन ने पर्यावरण का संदेश व हरित आवरण को बचाने के प्रति चेताते हुए आओ पेड़ लगाएं पेड़ बचाएं कविता प्रस्तुत की। रविन्द्र चंदेल ने चन्द्रधर शर्मा गुलेरी को समर्पित कविता ‘‘ हिन्दी साहित्य के नक्षत्र में तुम सम्राट कहलाए’’ का पाठ किया। जाबेद इकबाल ने सम समायिक वातावरण व स्थितियों को व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत कर ‘‘ कहां रूकता है वक्त भी मेरे यहां या तेरे वहां’’ से खासी तालियां बटोरी। एनटीपीसी कोल डैम के एजीएम अखिलेश जोशी की बुलन्द कविता ‘‘ जब सपना था सब अपना था अब जाग गया सब सपना है’’ के माध्यम से उत्साही मनुष्य की व्यथा को इंगित किया। डॉ0 लेख राम शर्मा ने वृद्वों को खुशहाल ब्रहम्चार्य से फूले गाल, नृत्य मे ताल और इज्जत से उच्च भाल ढूढते रह जाओगे’’ प्रस्तुत कर सबकी वाहवाही लूटी। डॉ0 मनोहर लाल शर्मा ने आज के हालात पे दिल को कचोटती हुई कविता कल दोपहर दो बजे दोपहिआ वाहन आपस में जा भिड़े कुछ लोग दूर से दोड़े कुछ लोग नजदीक हो गए खड़े प्रस्तुत करें। अंग्रेजी की प्राध्यापक नम्रता पठानिया ने दो अंग्रेजी कविताएं प्रस्तुत कर कविता हैंड में करोना काल में हाथों की सफाई‘‘ हैंड सेनेटाईजेशन के एवज में हैंड सैन्सेटाईजेशन रिश्तों की जागरूकता की आवश्यकता को प्रभावी बनाने पर बल दिया जबकि दूसरी कविता वर्ड में शब्दों की रचना धर्मिता व शब्द में छिपा विस्तृत भाव के प्रति चेतना जगाई।
हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ0 श्याम लाल ने इस अवसर पर अपने उदबोधन में चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के कृतत्व व रचनाओं के संबंध में अपने उदगार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ0 अजीत ने किया। जिला भाषा अधिकारी रेवती सैणी ने आयोजन के लिए महाविद्यालय का आभार व्यक्त किया।