रेहड़ी-फहड़ी वर्करज यूनियन हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी की बैठक आज कामरेड तारा चन्द भवन मंडी में कामरेड शेरपा मकड़ोलगंज की अध्यक्षता में आयोजित की गई।जिसमें सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मैहरा और ज़िला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी शामिल हुए।यूनियन के राज्य महासचिव सुरेंद्र कुमार शीलू ने बैठक के फैसलों की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि वर्ष 2014 में रेहड़ी फहड़ी लगा कर अपनी आजीविका कमाने के अधिकार को क़ानूनी मान्यता दी गई है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के सभी नगर परिषद क्षेत्रों में इस क़ानून को लागू नहीं किया जा रहा है।
अभी तक भी इस क़ानून के तहत टॉउन बैंडिंग कमेटियां गठित नहीं कि गयी हैं और यदि कहीं पर गठित हुई भी हैं तो उनकी बैठकें आयोजित नहीं कि जाती हैं और अफ़सशाही अपने तौर तरीकों से मनमानी करते हैं और रेहड़ीधारकों को हररोज़ परेशान करते हैं।इसलिये यूनियन जुलाई माह में शहरी विकास मंत्री और निदेशक को माँगपत्र देगी।सीटू के राज्य अध्यक्ष साथी विजेंद्र मेहरा ने बताया कि वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार लगातार मज़दूर विरोधी फ़ैसले ले रही है और उन सभ कानूनो को ख़त्म कर रही है या उनमें संशोधन कर रही जो मज़दूरों के हकों की रक्षा करने लिये आज़ादी से पहले और के बाद बने हैं।ज़िला अध्यक्ष भपेंद्र सिंह ने बताया कि क़ानून के तहत रेहड़ी-फहड़ी वालों का सभी शहरी क्षेत्रों में सर्वेक्षण होना अनिवार्य है और उन्हें लाइसेंस, पहचान पत्र, रेहड़ी लगाने के लिए स्थान आवंटित करने का काम करना होता है।लेकिन अभी तक अधिकांश शहरी क्षेत्रों में ये काम नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि क़ानून के तहत राज्य स्तर भी स्ट्रीट बैंडरज कमेटी गठित करने का प्रावधान है लेकिन ये कमेटी पूर्व भाजपा सरकार ने गठित नहीं कि थी इसलिये अब नई सरकार को इसे राज्य स्तर पर गठित करने की मांग उठाई है।प्रदेश में वर्तमान में 15 हज़ार से ज़्यादा रेहड़ी फहड़ी धारक हैं जिन्हें अब विकास,पर्किंग, सौन्दर्यकरण, भीड़ इत्यादि के नाम पर उजाड़ा जा रहा है।यूनियन उनके रोज़गार की रक्षा करने के लिए आने वाले समय में आंदोलन तेज़ करेगी।बैठक में ब्रम्हदास, विपिन कुमार, प्रवीन कुमार, मनी राम, पासिंग वारपा, सिया राम,मन आदि ने भाग लिया।