Beneficiaries के घर पहुंचे अधिकारी-कर्मचारी, पोषण वाटिकाओं का भी किया अवलोकन

कुपोषण की समस्या के उन्मूलन तथा इसके प्रति आम लोगों को जागरुक करने और पोषण अभियान के संबंध में आवश्यक फीडबैक प्राप्त करने के लिए बाल विकास परियोजना अधिकारी सुजानपुर, आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र की गर्भवती एवं धात्री महिलाओं और शिशुओं के घरों में जाकर पोषण के स्तर की वस्तुस्थिति की जानकारी ली। इन अधिकारियों-कर्मचारियों ने पोषण अभियान के अंतर्गत विकसित की गई पोषण वाटिकाओं का दौरा भी किया। इस दौरान नवजात एवं कुपोषित बच्चों की वृद्धि का घर-घर जाकर आकलन किया गया तथा आंगनवाड़ी केंद्रों, विद्यालयों एवं घरों में पोषण वाटिकाओं के विकास की प्रगति का अवलोकन भी किया गया।
बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि कुपोषण संपूर्ण विश्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि हमारे भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी ही कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है। कई बार हम पर्याप्त मात्रा में भोजन लेते हैं, लेकिन उसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण कुपोषण की समस्या पैदा हो जाती है। इसलिए, इन सूक्ष्म पोषक तत्वों के बारे में आम जनमानस का जागरुक होना बहुत जरूरी है।
कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि गर्भवती महिलाओं, शिशुओं, धात्री महिलाओं तथा किशोरियों में पोषण की प्रगति पर आवश्यक फीडबैक प्राप्त करने और उन्हें मोटे अनाज के महत्व से अवगत करवाने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों ने कई घरों में जाकर लाभार्थियों से सीधा संपर्क किया।
उन्होंने बताया कि ‘सुपर फूड’ के नाम से विख्यात हो रहे हमारे परंपरागत मोटे अनाज सूक्ष्म पोषक तत्वों से परिपूर्ण है तथा कुपोषण से लडऩे के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। एक अध्ययन के अनुसार अगर भोजन में बाजरा जैसे मोटे अनाजों का प्रयोग किया जाए तो बच्चों और किशोरों के विकास में 26 से 39 प्रतिशत तक तेजी आ सकती है। अध्ययन के अनुसार 3 से साढे चार वर्ष आयु वर्ग के जिन बच्चों को मोटे अनाज वाला खाना दिया गया, उनकी सेहत में अधिक वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि गर्भवती और धात्री महिलाओं तथा किशोरों के लिए भी मोटा अनाज समान रूप से लाभदायक है। यह न केवल इनकी पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है अपितु टाइप-2 डायबिटीज में भी लाभ पहुंचाता है, खून की कमी को पूरा करता है और कोलेस्ट्रॉल तथा मोटापे पर अंकुश लगाता है।

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