बीजेपी राहुल गांधी की ओबीसी के बारे बातें आपत्तिजनक

भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी और विधायक पवन काजल ने कहा राहुल गाँधी ने चार साल पहले हमारे समाज के खिलाफ सार्वजनिक रूप से जो अपमानजनक बातें की थी, उस संदर्भ में अदालत ने उन्हें जो सजा सुनाई है, हम उसका स्वागत करते हैं। अदालत का फैसला यह दर्शाता है कि देश का क़ानून और देश का संविधान सबसे ऊपर है और उसकी नजर में देश के सभी नागरिक समान हैं। अदालत का निर्णय यह भी सिद्ध करता है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो, यदि उसने अपराध किया है तो उसे सजा जरूर मिलेगी।
राहुल गाँधी ने ओबीसी समाज के बारे में जो अनर्गल और आपत्तिजनक बातें की थी, उसकी हम सब ने तब भी निंदा की थी, आज भी निंदा कर रहे हैं। लेकिन, अदालत द्वारा सजा सुनाने के बावजूद जिस तरह से राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी के नेता उन अपमानजनक बातों को सही ठहरा रहे हैं, वह बताने के लिए काफी है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं की मंशा क्या है और ओबीसी समाज सहित सभी ओबीसी समाज के बारे में उनकी सोच क्या है। राहुल गाँधी अभी भी राजशाही सोच से बाहर नहीं निकले हैं?
क्या हमारे समाज के खिलाफ देश के एक बड़े नेता का ऐसा निंदनीय बोलना उन्हें शोभा देता है? क्या यह देश के संविधान का अपमान नहीं है? क्या यह आत्मसम्मान के साथ जीने वाले हम सभी लोगों का अपमान नहीं है? क्या राहुल गाँधी देश से और देश के संविधान से इतने बड़े हो गए हैं कि हमें गाली देने का उन्हें अधिकार मिल गया है? माफी मांगना तो दूर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस के तमाम नेता जिस तरह से इसे सही ठहराने में जुटे हुए हैं, इससे यह सिद्ध होता है कि वे हमारा अपमान ही अपना नैतिक धर्म समझते हैं।
राहुल गाँधी ये मानना छोड़ दें कि वह और उनका परिवार देश से ऊपर है। यदि राहुल गाँधी और देश की जनता को लगता है कि वे देश के संविधान और देश के क़ानून से ऊपर हैं तो ये उनकी भूल है। राहुल गाँधी जी और कांग्रेस के नेता यदि मानते हैं कि वे अपने ही देश के नागरिक को अपशब्द कह सकते हैं तो हमें भी देश के संविधान ने आपके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार दिया है।
ओबीसी समाज को गाली देना, देश के ओबीसी समाज को गाली देना आपका अधिकार नहीं हो सकता राहुल गाँधी जी। और, जब कोर्ट इसको लेकर आपको सजा सुनाती है तो आप विक्टिम कार्ड नहीं खेल सकते।
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