स्कूलों का दर्जा घटाकर शिक्षा व्यवस्था को डी-ग्रेड कर रही है कांग्रेस सरकार: संदीपनी भारद्वाज

हिमाचल में पेंशन की जगह टेंशन दे रही है सरकार — भाजपा प्रदेश प्रवक्ता

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि आज से पहले प्रदेश सरकारों के दौरान मूलभूत सुविधाओं के अपग्रेड होने की बातें सुनी जाती थीं, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार में स्कूलों और बुनियादी सुविधाओं का स्तर लगातार गिरता जा रहा है

12 स्कूलों का दर्जा घटा, शिक्षा पर पड़ा असर

संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि सरकार ने हाल ही में 12 सीनियर सेकेंडरी और हाई स्कूलों का दर्जा घटा दिया है
उन्होंने बताया कि —

  • कुछ सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को सेकेंडरी स्कूल बनाया गया है।

  • हाई स्कूलों को मिडल स्कूल के रूप में परिवर्तित किया गया है।
    इनमें शिमला जिला के सबसे अधिक 22 स्कूल प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी राज्य में लगभग 1200 सरकारी स्कूल बंद किए जा चुके हैं या फिर आसपास की पाठशालाओं में मर्ज कर दिए गए हैं।
सरकार ने 450 जीरो एनरोलमेंट स्कूल बंद किए और 750 स्कूलों को पास की पाठशालाओं में मिलाया है।
यह शिक्षा के अधिकार और ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था दोनों पर गहरा प्रहार है।


“हिमाचल में ना पेंशन, ना सैलरी — पेंशन की जगह टेंशन”

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल के कर्मचारी कांग्रेस सरकार की नीतियों से परेशान हैं
उन्होंने कहा कि वोट से पहले कांग्रेस नेताओं ने बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन सत्ता में आते ही कर्मचारियों को धोखे का सामना करना पड़ा

  • वर्तमान में 1300 करोड़ रुपये से अधिक का पेंशन भुगतान लंबित है।

  • रिटायर कर्मचारियों को न पेंशन मिल रही है, न सेवानिवृत्ति लाभ।

  • सरकार ने जनवरी 2016 से जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों का लाखों रुपये का एरियर रोक रखा है

संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि सरकार पांच प्रकार के भुगतानों पर कुंडली मारकर बैठी है, जिससे पेंशनर वर्ग नाराज़ है।
एक आकलन के अनुसार, प्रति पेंशनर औसतन दस लाख रुपये सरकार के पास अटके हैं।
लगभग 43 हजार सेवानिवृत्त कर्मियों का बकाया अब करोड़ों रुपये में पहुंच चुका है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों को पेंशन की जगह टेंशन देने का काम किया है, और भाजपा इस अन्याय के खिलाफ हर स्तर पर आवाज उठाएगी।