हमीरपुर में प्रगतिशील किसान ने ड्रैगन फ्रूट की खेती से नई संभावनाएं खोलीं

हिमाचल प्रदेश में जिला हमीरपुर जैसे कम ऊंचाई और कम नमी वाले क्षेत्रों में भी फल उत्पादन की संभावनाएं हैं। आम, अमरूद और नींबू जैसी फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने उद्यान विभाग के माध्यम से कई प्रयास किए हैं और एचपीशिवा परियोजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की है।

अब उद्यान विभाग यहां लीक से हटकर अन्य फलों की खेती की संभावनाएं तलाश रहा है और इस दिशा में प्रगतिशील किसानों की पहल को प्रोत्साहित कर रहा है। इसी प्रयास में जिले के भोरंज उपमंडल के गांव पपलाह के राजेंद्र कुमार उर्फ रवि मैहर ने अपनी लगभग पांच कनाल भूमि पर ड्रैगन फ्रूट का बागीचा और नर्सरी तैयार की है।


ड्रैगन फ्रूट का बागीचा बना मॉडल फार्म

राजेंद्र कुमार ने उद्यान विभाग की मदद से अपने बागीचे को मॉडल फार्म के रूप में विकसित किया है ताकि अन्य किसान भी फलों की खेती की ओर प्रेरित हों।
उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ वर्ष पूर्व यूट्यूब पर ड्रैगन फ्रूट के बारे में जानकारी मिली और इसके लिए उत्सुकता जगी। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया और उद्यान विभाग से लगभग 29,160 रुपये की सब्सिडी लेकर पांच कनाल भूमि पर बागीचा लगाया।

बागीचे में 216 पोल लगाए गए हैं और हर पोल पर चार पौधे, यानी कुल 864 पौधे। इस सीजन में कुछ पौधों में पहली फसल भी आ गई है, जिससे शुरुआती दौर में ही लगभग पांच क्विंटल पैदावार हुई।


खेती से किसान को लाभ

राजेंद्र कुमार ने बताया कि बाजार में इस फल का मूल्य 200 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम है।
एक पोल लगाने और उस पर चार पौधे लगाने पर खर्च दो हजार से ढाई हजार रुपये आता है, लेकिन एक बार पौधा तैयार हो जाने के बाद यह किसान को लगातार आय का स्रोत प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती कम मेहनत में अधिक लाभ देती है और बाजार में अच्छे दाम भी मिल जाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने बागीचे के साथ नर्सरी भी तैयार की है, जिससे अन्य किसान भी पौधे ले सकते हैं और खेती कर सकते हैं।


प्रेरणा का स्रोत बना बागीचा

राजेंद्र कुमार का यह बागीचा अब अन्य किसानों और बागवानों के लिए प्रेरणा बन गया है।
उद्यान विभाग के अधिकारी भी इस पहल को प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसे मॉडल फार्म के रूप में पेश करने की तैयारी में हैं, ताकि जिले में फलों की खेती और कृषि विकास को बल मिले।