भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने एक बार फिर विधानसभा में नियमों के तहत विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के पास यह अधिकार है कि वह प्रिविलेज नोटिस को खारिज करें या प्रिविलेज कमेटी को भेजें। लेकिन जब नियमों का हवाला दिया गया है तो यह मामला दोबारा से नियमों के तहत सदन में उठाया जाएगा।
मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप
सुधीर शर्मा ने कहा कि यह मामला कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने सदन में ऐच्छिक अनुदान एक लाख रुपये करने की घोषणा की थी, लेकिन वह अब तक लागू नहीं हुई। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए बयान को झूठा करार देते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पद की गरिमा का ध्यान रखना जरूरी है।
प्रश्नकाल पर उठे सवाल
भाजपा विधायक ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि सदन के भीतर इस प्रकार के गलत आंकड़े और भ्रामक बयान दिए जाएंगे तो सत्र और प्रश्नकाल का औचित्य ही समाप्त हो जाएगा।
उन्होंने तीखे अंदाज में कहा – “ऐसे में बेहतर है कि जानकारी सीधे RTI (सूचना का अधिकार) के माध्यम से ली जाए, बजाय प्रश्नकाल में सवाल पूछने के।”