शिमला 20 जुलाई 2025 || हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अनेक योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें से एक है मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा, जो 5 मार्च 2024 से लागू की गई है। इस योजना के तहत प्रदेशभर में 44 मोबाइल एंबुलेंस चल रही हैं, जिनमें से 5 एंबुलेंस जिला शिमला में उपलब्ध हैं। इस सेवा का मुख्य उद्देश्य पशुपालन को सुविधा प्रदान करना और ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के इलाज को आसान बनाना है।
### प्रमुख आंकड़े:
– **1876 पशुओं का इलाज:** शिमला जिले में मोबाइल पशु चिकित्सा एंबुलेंस के माध्यम से 5 मार्च 2024 से 30 जून 2025 तक 1876 पशुओं का इलाज किया गया है।
– **69954 किलोमीटर यात्रा:** इन एंबुलेंस ने कुल 69954 किलोमीटर की यात्रा की है, जिसमें सुन्नी, रामपुर, शिमला शहरी, रोहडू और ठियोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
– **90% उपचार गांवों में:** अधिकतर पशुओं का उपचार गांवों में ही किया जा रहा है, जिससे स्थानीय पशुपालकों को सीधा लाभ मिल रहा है।
### पशु संजीवनी कॉल सेंटर:
प्रदेश में एक टोल फ्री कॉल सेंटर (1962) भी कार्यशील है, जिसका उपयोग करके पशुपालक आपात स्थिति में घर पर ही चिकित्सा सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं। एंबुलेंस सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक संचालित होती हैं और हर एंबुलेंस में एक पशु चिकित्सक, एक वेटनरी फार्मासिस्ट और एक चालक होता है।
### केस स्टडी:
1. **गाय की टांग की सर्जरी:** रामपुर क्षेत्र के एक व्यक्ति की गाय की टांग टूट गई थी। मोबाइल एंबुलेंस ने समय पर पहुँचकर सफल ऑपरेशन किया।
2. **गाय का रिप्रोडक्टिव पार्ट बाहर आना:** इस मामले में भी एंबुलेंस ने त्वरित सहायता देकर गाय का ऑपरेशन किया।
3. **भालू द्वारा हमला:** एक गाय पर भालू ने हमला किया था, जिसे एंबुलेंस ने प्राथमिक उपचार दिया।
4. **ट्यूमर का इलाज:** बैल में ट्यूमर होने की सूचना पर एंबुलेंस ने मौके पर पहुँचकर सफल इलाज किया।
### सरकारी प्रतिक्रिया:
उपायुक्त अनुपम कश्यप और उप निदेशक पशुपालन विभाग डा. नीरज मोहन ने इस सेवा की सराहना की और बताया कि यह पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा है, जो न केवल पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल करती है, बल्कि उन्हें अस्पताल आने-जाने में होने वाले खर्च की बचत भी कराती है।
### निष्कर्ष:
मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो कि न केवल पशुओं के स्वास्थ्य बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है।